फिल्म स्टार सोनाक्षी सिन्हा रामायण से जुड़े एक सवाल का जवाब कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में न दे पायीं. यह मसला नहीं है। मसला यह है कि उनके पिता शत्रुघ्न सिन्हा रामायण से अपने पारिवारिक जुड़ाव का ढोल लगातार पीटते रहे हैं। सो व्हाट, ढोल पीटने का मतलब यह थोड़े ही हो जाता है कि हमें उस विषय के बारे में सारी जानकारियां हों। ढोल पीटना अलग मसला है। इश्तिहार करने वाले ढोल पीटते हैं पर उनके द्वारा र इश्तिहारित आइटमों से जुड़े सवाल उनसे पूछ लिये जायें तो मामला पेचीदा हो जायेगा जैसे विराट कोहली से पूछ लिया जाये-आप तो उबर के इश्तिहार करते हैं, आखिरी बार उबर टैक्सी में आप कब बैठे थे, ट्रिप कहां से कहां तक की ली थी। विराट कोहली नाराज हो सकते हैं ।मुझे लगता है कि सोनाक्षी के अज्ञान प्रदर्शन करने के बाद, तमाम कोचिंग ट्यूशन कंपनियां इस बात को इश्तिहारों के जरिये बतायेंगी कि हमने सोनाक्षी को नहीं पढ़ाया है। बायजूस, आकाश कोचिंग समेत तमाम कोचिंग इश्तिहारों के जरिये खंडन जारी कर सकती हैं-हमने सोनाक्षी सिन्हा को नहीं पढ़ाया। वह टीचर भी, जिसने सोनाक्षी सिन्हा को इतिहास आदि विषयों का ज्ञान दिया है इस तरह के खंडनात्मक इश्तिहार आने चाहिए। जैसे ही कोई एथलीट किसी स्पोर्ट इवेंट में कुछ उपलब्धि हासिल करता है, तमाम जूते वाले, कोल्ड ड्रिंक वाले इश्तिहार दिखाने लग जाते हैं कि खिलाड़ी की स्पीड के लिए हमारे जूतों को क्रेडिट मिलना चाहिए। हमारे कोल्ड ड्रिंक को क्रेडिट मिलना चाहिए एक्स कोचिंग वाला यह इश्तिहार जारी कर सकता है कि सोनाक्षी सिन्हा हमारे प्रतिस्पर्धी वाई कोचिंग इंस्टीट्यूट में जाकर पढ़ी हैं। उस वाले कोचिंग पर किसी को नहीं जाना चाहिए। सोनाक्षी सिन्हा और आलिया भट्ट के ज्ञान के स्तर को देखकर लगता है कि मुंबई क्या देश के कई स्कूल खंडन कर देंगे कि ये हमारे यहां नहीं पढ़ी हैं। साहब बिहार और यूपी के शिक्षा स्कूलों के स्तर को पानी पी पीकर कोसने वाले देख लें, सारी आफत बिहार और यूपी में ही नहीं है।
असफलता को अवसर में बदलने का फॉर्मला